पाॅल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने फोकल पाॅइंट की इंडस्ट्री को दोबारा नोटिस भेज दिए हैं। ये नोटिस 4 नवंबर को रिलीज किए गए। इनमें कहा गया है कि फैक्ट्रियों की लोहा भट्ठियों की जो चिमनियां पुराने डिजाइन में बनी हैं, उन्हें पंजाब की साइंस एंड टेक्नोलाॅजी कौंसिल की तरफ से बताए नए उपकरणों से लैस करें। हर शख्स अपनी फैक्ट्री में लगाए उपकरण की डिजाइन रिपोर्ट उसके पास जमा कराए। उधर, इंडस्ट्रियलिस्टों को उपकरण लगाने की परेशानी कम और टेक्नोलाॅजी कौंसिल की मोटी फीस अधिक परेशान कर रही है। जिस विभाग का काम ही लोगों की मदद करना है, वहां हर आवेदक को 50 हजार रुपए देने पड़ेंगे। जिस फैक्ट्री में पांच-छह चिमनियां हैं, उसकी फीस ही लाखों रुपए बन रही है।
अभी जो चिमनियां फैक्ट्रियों में लगी हैं, उनमें हवा में से गंदगी जाने से रोकने के लिए कपड़े के स्पेशल बैग लगे हैं। इनकी जगह अब पाॅल्यूशन कंट्रोल बोर्ड नए उपकरण लगाने को कह रहा है।
इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि ये उपकरण सस्ते मिलें और बगैर किसी लंबी दस्तावेजी कार्रवाई के लोग लगा सकें, एेसा प्रबंध होना चाहिए लेकिन चंडीगढ़ जाकर टेक्नोलाॅजी कौंसिल से डिजाइन की मंजूरी का लंबा प्रोसीजर थोपा गया, ये बड़ी परेशानी है। उधर 50 से अधिक लोगों को नोटिस दे दिए गए हैं। इंडस्ट्री के लोगों ने कहा कि पाॅल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को साइंस एंड टेक्नोलाॅजी कौंसिल से तकनीकी गाइडेंस फ्री उपलब्ध करानी चाहिए क्योंकि जो इंडस्ट्री विकसित होती है, उसका टैक्स रेवेन्यू सरकार के ही तो खजाने में जाता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जो मानक लागू करने के लिए कहा था, उनके बारे में पाॅल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कभी कोई अवेयरनेस कैंपेन से भी इंडस्ट्री को नहीं जोड़ा है, सीधे कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मंदी में घिरी इंडस्ट्री के लिए नई इनवेस्टमेंट ग्राउंड तैयार कर दी गई है।
एक चिमनी के अदा करने होंगे 50 हजार रुपए