तरुण सिसोदिया| नई दिल्ली .स्वच्छ भारत अभियान को सहयोग देते हुए दिल्ली-एनसीआर के 150 से ज्यादा परिवार घर पर ही 90 फीसदी कूड़े का खात्मा कर रहे हैं। घर के कूड़े में सबसे ज्यादा होने वाले गीले कूड़े का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए किया जा रहा है। साउथ दिल्ली के चितरंजन पार्क में रहने वाली डॉ. श्यामला मनी पिछले 15 साल से अपने घर में किचन से निकलने वाले कूड़े से खाद बना रही हैं। डॉ. मनी ने बताया कि पहले वह बड़े गमलों में खाद बनाती थीं। मगर अब कंपोस्टर में खाद बनाती हूं। इससे किचन वेस्ट भी हट जाता है और खाद भी मिल जाती है।
पड़ोसियों को भी खाद बनाकर दी
ग्रेटर कैलाश एन्क्लेव में रहने वाली हरप्रीत तलवार ने बताया, मेरी एक फ्रेंड ने किचन के कूड़े से खाद बनाने के बारे में बताया। फिर मैंने इसे शुरू कर दिया। किचन से निकलने वाला जो कूड़ा मुझे फेंकना पड़ता था। अब उसे खाद बनाने के लिए कंपोस्टर में डा ल देती हूं। जब खाद बनकर तैयार होती है तो बहुत अच्छा है। घर की खाद को पेड़ों में डाल देती हूं। पिछले दो साल मैंने अपने पड़ोसियों को भी खाद दी है। अलकनंदा में रहने वाली चारू सिंह किचन से निकलने वाले कूड़े से पिछले 10 साल से घर में खाद बना रही हैं।
ऐसे तैयार होती है खाद
फरीदाबाद में रहने वाली मोनिका शर्मा ने पहले किचन के कूड़े से खाद बनानी सीखा। इसके बाद उन्होंने लोगों को इस बारे में जागरूक करना शुरू किया। अब वह लोगों को कंपोस्टर और खाद बनाने का कैमिकल उपलब्ध कराती हैं। मोनिका शर्मा ने बताया कि गमले नुमा कंपोस्टर में घर के किचन से निकलने वाला कूड़ा (सब्जी के छिलके, अंडे के छिल्के, बचा हुआ खाना आदि) डालते रहिए। कूड़े के साथ इसमें खाद बनाने में मददगार माइक्रो, बैक्टीरिया या बायोकुलम भी थोड़ी मात्रा में डालें। 1 किलो कूड़े में 1 ग्राम का इस्तेमाल करें। यह कैमिकल पेड़ और खाद बेचने वाली दुकान पर आसानी से मिल जाएगा। जब कंपोस्टर भर जाए तो इसे बंद करके रख दें और दूसरे कंपोस्टर में कूड़ा डालना शुरू करें। बंद कंपोस्टर को कूड़ा डालने के पहले दिन से लेकर 45 दिन बाद खोलें। खाद बनकर तैयार हो गई हो। इस बात का ध्यान रखें कि गमले या जिस भी चीज में आप कूड़ा डालें उसमें छेद हो, ताकि कूड़े को ऑक्सीजन मिलती रही क्योंकि खाद बनने में ऑक्सीजन का अहम योगदान है।